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गुढ़ी / गोलेन्द्र पटेल
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लौनी गेहूँ का हो या धान का
बोझा बाँधने के लिए - गुढ़ी
बूढ़ी ही पुरवाती है पुआल
बहू बाँकी से ऐंठती है
और पीड़ा उसकी कलाई !