भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहेली / हाइनर म्युलर / उज्ज्वल भट्टाचार्य
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:46, 10 नवम्बर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हाइनर म्युलर |अनुवादक=उज्ज्वल भट...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मेरे बाप की
दो टाँगें हैं ।
उनमें से एक
लकड़ी की है
जो उसे
युद्ध में मिली थी।
अब बूझो ज़रा :
किस टाँग पर
उसे फ़ख़्र है ?
मूल जर्मन भाषा से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य