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अंगिका भाषा / त्रिलोकीनाथ दिवाकर
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हमरो भाषा अंगिका छिकै महरानी
अंगो के धरती पर, गूंजै छै वाणी
ग्रियर्सन ने छीका-छिकी भाषा कहलकै
कोय-कोय यै भाषा के ठेठी बतैलकै
नाम देलकै अंगिका राहुल जी ज्ञानी..
गीत सुनी बिहुला के बिषहरी रिझाबै
बाबा विशुराउतो के भक्ति गीत भावै
नटुआ के लोकगाथा, कहै मुजवानी
अंगो के धरती पर, गूंजै छै वाणी।
गोस्सा में पीवी गेलै भगीरथी गंगा
जनम लेलकै जाह्न्वी जन्हु के जंघा
रिषीकूंड पहाड़ो से बहै गरम पानी
अंगो के धरती पर, गूंजै छै वाणी
माय के टिटकारी पर नूनू हलराबै
बोलै के लूर सिखी जिहो सोझराबै
बुतरू सब झुमी-झुमी खेलै घघ्घो रानी
अंगो के धरती पर, गूंजै छै वाणी