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चलें स्कूल / त्रिलोकीनाथ दिवाकर
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चलें-चलें रे नूनू स्कूल पढ़ै ल‘
पढ़ी लिखी क‘ तों इन्सान बनै ल‘
सुती-उठी नूनू नै करें आराम
माय-बाबू बड़का के करें सम्मान
ज्ञान के अन्हरिया क‘ दूर करै ल‘..
चलें-चलें रे नूनू स्कूल पढ़ै ल‘।
जेतना टा पूरै छौ वोतन्है में पढं़े
मेहनत के बलो पर आगू तों बढ़ें
गुरू के मान धरी चाँन चुमै ल‘
चलें-चलें रे नूनू स्कूल पढ़ै ल‘।
पूर्वज के टिप्पा प‘ गेलौ जमीन
कर्जा से केना के होबें उरीन
जिनगी बचाबंे, चल कानून बुझै ल‘
चलें-चलें रे नूनू स्कूल पड़ै ल‘।
पढ़ी क‘ जे बनबें, बनबें तों करिहें
नीयत के साफ रखी बढ़बे तों करिहें
दुनियां में देशो के नाम करै ल‘
चलें-चलें रे नूनू स्कूल पड़ै ल‘।