भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अश्रु गज़ल है / सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश'

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:34, 30 नवम्बर 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल दल-दल है।
छवि उज्ज्वल है।

भाषा उन्नत
भाव विरल है।

प्यास भटक मत,
यह मरूथल है।

सत्य व्यथित है,
न्याय विकल है।

कथ्य कठिन है,
शिल्प सरल है।

कैसा युग है ?
क्या हलचल है ?

व्यथा गीत है,
अश्रृ गजल है।