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अश्रु गज़ल है / सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश'
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दिल दल-दल है।
छवि उज्ज्वल है।
भाषा उन्नत
भाव विरल है।
प्यास भटक मत,
यह मरूथल है।
सत्य व्यथित है,
न्याय विकल है।
कथ्य कठिन है,
शिल्प सरल है।
कैसा युग है ?
क्या हलचल है ?
व्यथा गीत है,
अश्रृ गजल है।