Last modified on 16 दिसम्बर 2021, at 22:38

नया ज़माना / बैर्तोल्त ब्रेष्त / सुरेश सलिल

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:38, 16 दिसम्बर 2021 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नया ज़माना यक्-ब-यक् नहीं शुरू होता ।
मेरे दादा पहले ही एक नए ज़माने में रह रहे थे
मेरा पोता शायद अब भी पुराने ज़माने में रह रहा होगा ।

नया गोश्त पुराने काँटे से खाया जाता है ।

वे पहली कारें नहीं थीं
न वे टैंक
हमारी छतों पर दिखने वाले
वे हवाई जहाज़ भी नहीं
न वे बमवर्षक,

नए ट्राँसमीटरों से आईं मूर्खताएँ पुरानी ।
एक से दूसरे मुँह तक फैला दी गई थी बुद्धिमानी ।

1942-43
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल