खाने की टेबल पर जिनके पकवानों की रेलमपेल है
वे पाठ पढ़ाते हैं हमको — 'सन्तोष करो ! सन्तोष करो !!'
उनके काले धन्धों की ख़ातिर हम पेट काटकर टैक्स भरें
और नसीहत सुनें — 'त्याग करो ! भई, त्याग करो !'
मोटी-मोटी तोन्दों को जो ठूँस-ठूँस कर भरे हुए हैं
हम भूखों को सीख सिखाते हैं — 'सपने देखो, धीर धरो ।'
देश का बेड़ा ग़र्क करके वे हमको शिक्षा देते हैं
'तुम्हारे बस की बात नहीं है, हम राज करें ! तुम राम भजो !'
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सवाई सिंह शेखावत