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पहचान / नीलमणि फूकन / दिनकर कुमार

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नेत्रहीन वृद्ध ने
अपरान्ह के आकाश में

एक नीली चिड़िया को उड़ाकर
भर्राई हुई आवाज़ में
हमसे कहा था —

’लोगों से कहना —
उनकी दुनिया में
कोई किसी को
कभी
पहचान नहीं पाया ।’

मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार