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मानव पुकार / हर्कजङ्गसिँह छेत्री
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(१)
आदि, अनादि, अनन्त आधार ।
छैन जहाँ यो झूटो माया,
छैन जहाँ सुख दुःखको छाया,
जहाँ छ जीवन कंचन काया,
कहाँ छ यस्तो विमल संसार
आदि, अनादि, अनन्त आधार ।
(२)
छ कुंज कानन सौरभ छर्ने,
दल मधुप मधुर गुन्जन गर्ने,
सरवर सुन्दर सरिता बग्ने
कहाँ छ यस्तो विमल संसार,
आदि, अनादि, अनन्त आधार ।