Last modified on 10 फ़रवरी 2022, at 11:12

सारा तारा चुँडालेर / किरण खरेल

Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:12, 10 फ़रवरी 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=किरण खरेल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatNepal...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सारा तारा चुँडालेर आकाश रित्तो पारिदिऊँ
यस्तो लाग्छ कहिलेकाही आफ्नै मन मारिदिऊँ

लाख चोटी मुटु दुख्छ एकचोटी सास फेर्दा
दु:खै दु:ख देखिन्छ जताततै फर्की हेर्दा
कोपिलालाई कुल्चिएर वसन्तलाई भगाइदिऊँ
यस्तो लाग्छ रगतजति रुँदारुँदै बगाइदिऊँ

पुजारीको आँखा छली रुन्छ ईश्वर मन्दिरमा
सुख शान्ति कैदी बनी कल्पी बस्छ जन्जिरमा
आगैआगो सल्काएर धर्ती बाँझो तुल्याइदिऊँ
यस्तो लाग्छ मानिसकै माया मोह भूलाइदिऊँ