मैंने सच के साथ यह क़रार किया था
कि दुनिया में फिर भर दूँगा रोशनी
मैं दूसरों की तरह बनना चाहता था
ऐसा कभी नहीं हुआ था कि संघर्षों में मैं नहीं रहा
और अब मैं वहाँ हूँ जहाँ चाहता था
अपनी खोई हुई निर्जनता के बीच
इस पथरीले आगोश में मुझे नीन्द नहीं आती
मेरी नीरवता के बीच घुसता चला आता है समुद्र