चरित्र / हर्षिता पंचारिया
1.
एक स्त्री के चरित्रहीन होने का आकलन
शराब और सिगरेट से होता हुआ
उसके कौमार्य भंग होने पर
पुख़्ता हो जाता है।
वहीं एक पुरुष के लिए ऊपर लिखी समस्त बातें
"मर्द" होने का प्रमाण देती है
कितनी बड़ी विडम्बना है ना!
समाज की सोच
किसी के चरित्र का हथियार है,
तो किसी के चरित्र का तिरस्कार।
2.
स्त्री के भूगोल को तलाशते तलाशते,
जब तुम उसके इतिहास पर प्रश्नचिन्ह लगा देते हो ना
तो यक़ीनन तुम
प्रेम नामक विषय में अनुत्तीर्ण हो जाते हो।
3.
बचपन की सीख थी कि,
बहादुरी, सच्चाई और ईमानदारी
चरित्र निर्माण के सबसे बड़े कारक है।
बड़े होते-होते चरित्र की परिभाषा
स्त्री के कौमार्य तक ही सिमट गई।
कभी कभी लगता है
ये दुनिया सिमट गई या सोच?
4.
स्त्री की आक्रामकता को गिराने का एकमात्र हथियार है
उसके चरित्र को गिरा दो।
जैसे तालियों की गड़गड़ाहट के साथ गिरता है पर्दा।
पर स्मरण रहें,
मंच पर अगला किरदार
तुम्हारी माँ, बहन या बेटी का भी हो सकता है।