Last modified on 31 मार्च 2022, at 12:05

दाम्‍पत्‍य - 2 / संतोष अलेक्स

Kumar mukul (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:05, 31 मार्च 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष अलेक्स |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हम घर से साथ निकलते
शाम को दफतर के बाद
साथ बाजार जाते
लौटते साथ
शाम को खाने पर साथ नहीं बैठते

माँ का हदय
कथरी सा बिछता है
बाबूजी जागते हैं रात भर

दोनों परिवारवालों की
आपसी सहमति से हुई थी
शादी हमारी