भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साँप / लैंग्स्टन ह्यूज़ / अमर नदीम

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:45, 4 अप्रैल 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लैंग्स्टन ह्यूज़ |अनुवादक=अमर नद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह इतनी फुर्ती से सरक जाता है
वापस घास के बीच —
रास्ता छोड़ देता है मेरे लिए
ताकि मैं गुज़र सकूँ,
कि मुझे शर्मिन्दगी सी महसूस होने लगती है
एक पत्थर उठाने में
उसे मारने के लिए ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अमर नदीम
 —
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
       Langston Hughes
                Snake

He glides so swiftly
Back into the grass —
Gives me the courtesy of road
To let me pass,
That I am half ashamed
To seek a stone
To kill him.

Langston Hughes
Saturday, March 27, 2010