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शोक का कीमिया / बाद्लेयर / सुरेश सलिल

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सोत्साह प्रज्ज्वलित करता है तुम्हें एक व्यक्ति
अपर अपना सारा शोक तुममें रख देता है, ओ प्रकृति !
पहले को कहते हैं ‘जीवन और दीप्ति’
अपर को कहते हैं ‘दफ़्न, याने अन्त्येष्टि’

अज्ञात हर्मीस<ref>यूनानी देवता हर्मीस त्रिस्मीगिस्तुस, जिसे रसायनशास्त्र यानी कीमियागीरी का आविष्कारक माना जाता है। अपने मूलरूप में यह मिस्र का देवता ‘थोथ’ है, जिसका रूपान्तरण यूनानियों ने अपने वहाँ हर्मीस के रूप में किया। </ref>, तू मेरा सहाय्य रहा
भय से भी मरता रहा मुझे सर्वदा
तू मुझे बनाता है मीदास<ref>यूनानी मिथकों के अनुसार, फ्रीगिया का राजा, जिसे यूनानी देवता ‘बाखुक्ष’ से वरदान मिला था कि वह जिस चीज़ को छुएगा, वह सोने में बदल जाएगी। </ref> के जैसा
कोई भी कीमियागर दुखी-व्यथित नहीं वैसा

तेरी ही कृपा से बदलता हूँ मैं स्वर्ण को अयस् में
बदलता हूँ तेरी ही कृपा से, स्वर्ग को नरक में

बादलों के कफ़न में खोज निकालता हूँ एक परमप्रिय शव
आकाशीय पुलिनों पर बनाता हूँ एक विशाल शवाधान
दुर्भाग्य
इतना भारी बोझा उठाने के लिए
हम यद्यपि करते हैं काम अच्छे हृदय से,
कला दीर्घरूपा है, समय भागता हुआ तीव्र गति से

प्रसिद्ध लोगों की समाधियों से दूर
एक एकाकी समाधि क्षेत्र की ओर
हृदय मेरा, किसी बेआवाज़ ढोल जैसा
जाता हुआ — अन्त्येष्टि राग की ताल देता
अनेक रत्न पड़े हें सोये
अन्धेरी विस्मरणशीलता में खोये
दूर — गैंतियों से, साहुल सूत्रों से दूर
अनेक पुष्प अनिच्छापूर्वक
खोते हुए अपनी महक
किसी रहस्य जैसे मधुर —
गहरे एकान्तों में ।

अंग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल

शब्दार्थ
<references/>