भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

परेशान औरत / लैंग्स्टन ह्यूज़ / अमर नदीम

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:53, 19 अप्रैल 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लैंग्स्टन ह्यूज़ |अनुवादक=अमर नद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खड़ी है
ख़ामोश अन्धेरे में,
वह परेशान औरत
झुकी हुई
थकन और दर्द से
बर्फ़ीली बारिश में
पतझर के फूल जैसी
हवा में उड़ाए गए
किसी पतझर के फूल जैसी
जो खिलेगा नहीं कभी भी
दुबारा ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अमर नदीम
 —
लीजिए, अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
       Langston Hughes
        Troubled Woman

She stands
In the quiet darkness,
This troubled woman
Bowed by
Weariness and pain
Like an
Autumn flower
In the frozen rain,
Like a
Wind-blown autumn flower
That never lifts its head
Again.