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एक इकारस का रुदनगान / बाद्लेयर / सुरेश सलिल

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इकारस<ref> इकारस एक यूनानी मिथक है। मिथक-कथा के अनुसार, दुःसाहस का प्रतीक इकारस, यूनानी द्वीप-राज्य क्रीत के सम्राट मिनोस के राज्य-शिल्पी दाइदलस का पुत्र था। दाइदलस ने दुनिया की प्रथम भूलभुलैया ‘लेबिरिंथोस’ बनाई थी। किन्तु किसी कारण से असन्तुष्ट होकर मिनोस ने पिता-पुत्र दोनों को जीवनभर के लिए क़ैदख़ाने में डाल दिया। दाइदलस ने कारागार से निकल भागने के लिए मोम के पंख बनाए और इकारस को सतर्क कर दिया कि इन पंखों के सहारे वह अन्तरिक्ष में अधिक ऊँचाई तक न उड़े। किन्तु इकारस उड़ता हुआ सौरमण्डल तक चला गया और जलकर राख हो गया।</ref>

प्रमुदित और प्रसन्नवदन हैं
गणिकाओं के प्रेमी;
पर मेघालिंगन से हैं
मेरी बाँहें क्षत-विक्षत

आभारी हूँ नभ की नील गहनताओं में दीप्त
अतुलनीय नक्षत्रों का मैं —
देख पा रहे सूर्यों की स्मृतियाँ भर ही
मेरे नेत्र निमज्जित

व्यर्थ चाहना की थी मैंने
अन्तरिक्ष के केन्द्र छोर के अन्वेषण की;
किस आग्नेय दृष्टि से, मेरे
पँख टूटते-से लगते हैं — नहीं जानता

ज्वाला में सौन्दर्य-राग की जलकर भस्म हुआ है
अपने को उस नरककुण्ड में देने का गौरव-पद
पा न सकूँगा — जो मेरी समाधि कहकर
जाना जाएगा ।

अंग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल

शब्दार्थ
<references/>