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हम तुम्हारे / प्रभात पटेल पथिक
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हम तुम्हारे पाँव की थिरकन गिनेंगे,
तुम हमारी धड़कनों की चलन गिनना।
वन्दिते! है वन्द्य जग में प्रणय अपना,
जगत वाले यह कभी न जान सकते।
जान भी जाएँ अगर ये प्रेम क्या है?
दिव्यता कितना है कभी न जान सकते।
हम तुम्हारे देह की सिहरन गिनेंगे,
तुम हमारी उँगलियों की छुअन गिनना।
हम तुम्हारे ।
पूर्ण करनी है अगर प्रेमिल प्रतिज्ञा,
वर्जनाएँ तोड़नी होगी उभय को।
प्रेम शाश्वत रहे जग में इसलिए अब,
लोकलज्जा छोड़नी होगी उभय को।
हम तुम्हारे अधर की तड़पन गिनेंगे,
तुम हमारे आँसुओं की तपन गिनना।
हम तुम्हारे पाँव की थिरकन गिनेंगे