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आस्था - 36 / हरबिन्दर सिंह गिल
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मेरी कल्पना की दुनियाँ में
मैं यह भी निश्चित नहीं कर पा रहा था
मुझे किस भाषा का
करना चाहिये प्रयोग
क्योंकि मुझे यकीन नहीं है
मेरे भाई
उसी भाषा को
पसंद करेंगे सुनना।
यह भय
खोखला संदेह नहीं है
क्योंकि भाषा ही
मुख्य कारण है
राष्ट्रीय सीमाओं की उत्पत्ति का
और अनगिनत
प्रतीक्षा कर रहे हैं
सीमाओं के रूप में
मानवता के पीठ पर
बरसाए जाएं, कोड़े।
कोड़ों का यह दर्द
माँ सहती आ रही है
ठीक उसी दिन से
मानव ने सीखा है, बोलना।