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आस्था - 78 / हरबिन्दर सिंह गिल

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ओ पंक्षी! पेड़ों की ऊंचाई से ऊपर उड़ना सीखो
ये शाखाएं तुम्हारा घर न रहेंगी
बादलों से दोस्ती बनाओ और उनको कहो
ऐसे ग्रह पर ले जाएँ
जहाँ तुम्हें रहने के लिये घर मिल सके।
हाँ, चंद्रमा पर नहीं
क्योंकि मानव ने पहले ही
अपना जाल बिछाया हुआ है
वह दुबारा तुमको शिकार बना लेगा।

बादलों से बोलो
तुम्हें इतनी ऊपर ले जाएं
जहाँ तुम फसल, फल
घास और जंगली पौधों के बीज
जमा कर सको
अकाल के दिनों के लिये नहीं
परंतु एक नये
संसार की रचना के लिये
जहाँ मानव खेती न करता हो।

यात्रा लंबी है
इससे पहले कि तुम्हारे पंख
आणविक आग में जल जायें
तुम मानवता को अपने पंखों पर
बादलों से कहीं ऊपर ले जाओ।