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आज हमर अंगना में / हरिवंश प्रभात

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आज हमर अंगना में, चाँद उतर आइल,
तोहरा के देख के त अइसने बुझाइल।

हरदी के रंग में रंगाइल सुरतिया,
मेंहदी के रंगवा से महकल पिरितिया,
अंचरा में लहरेला सरसों फुलाइल।
तोहरा के देख के....

रहिया में झुक गइले फुलन के डाली,
बिछ गइले नेहिया के मखमल नेहाली,
अंखिया में बस गइले फागुन बउराइल।
तोहरा के देख के....

सोना भी बरसेला, चाँदी भी बरसे
सज धज के जब जब भी तू निकले घर से,
केसिया में उलझ-उलझ भंवरा भुलाइल।
तोहरा के देख के....

हंसला से बरसेला अमरित के धारा
बोलिया में बंसुरी के धुन प्यारा प्यारा,
रचके विधाता भी कहवाँ लुकाइल।
तोहरा के देख के....