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नाउम्मीद पर उम्मी / हरिवंश प्रभात
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नाउम्मीद पर उम्मीद जगाते
कामयाबी के सपने दिखाते,
अक्सर मुझको हौसला देते
तुम बिलकुल घबराना मत।
जीवन में भरसक मिलता है
वक्त सभी को बढ़ने का,
आसमान को मुट्ठी करना
निज इतिहास भी गढ़ने का,
दुनिया तुमको सुने बखूबी
हो आवाज़ जज़्बे में डूबी
कभी खिलाफत अपनी शान के
आगे कदम बढ़ाना मत।
जिनका रुतबा ऊँचा होगा
काफी हद तक सोच सको तो,
उनका तजुर्बा सोचा होगा
वहाँ पर रुकना रोक सको तो।
हुनर भी माँजते रहना होगा।
समय को आँकते रहना होगा,
रखना जिद बेहतर तलाश की
बिन मंजिल रुक जाना मत।