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हाइकु / सुधा गुप्ता / रश्मि विभा त्रिपाठी

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1
सूखे गले से
कलप रही हवा
घूँट पानी के।

सूख गरे तै
कलपति ह्वै हवा
घूँट बारी कै।
2
काँधे झूलती
कूज रही चिड़िया
नन्ही बिटिया।

काँधे झूलइ
कूजइ चिरइया
नान्ह बिटिया।
3
किसी की याद
बाँस- वन जुगनूँ
टिमक गया।

केहिकी सुधि
बाँस- बन जुगनूँ
टिमकि गवा।
4
भूलता नहीं
एक सूखा गुलाब
बन्द किताब।

बिसरै नाहीं
याकै सूख गुलाबु
मुँदी किताबु।

5
काँटों की खेती
जीवन जोत दिया
चुभे तो रोती।

काँटा कै खेती
जिनगी जोति दीन्ह
सालै त बिल्पै।
6
बाराती मेघ
आकाश- मण्डप में
इतरा बैठे।

बराती मेघा
अकास- मड़वा माँ
अठिलु बैठ।
7
लो खुल पड़ी
आकाश की खिड़की
झाँका सूरज।

लेउ खुलि गै
अकास केरि खिर्की
सुर्ज झाँकिसि।
8
भीगा कम्बल
यादों का, ओढ़े बने
न ही उतारे।

भींज कम्मर
सुधि कै, ओढ़ बनै
नै उतारति।
9
आँखों में कैद
चाँद और सूरज
बेटी मशाल।

आँखी माँ बन्द
चन्दा अउर सुर्ज
बेटी मसाल।
10
चिनार- वन
फिर से लगी आग
जी हुआ खाक।

चनार बन
बहुरि लागि आगि
जिउ भा छारि।
11
मनमौजी है
जंगल को गाने दो
अपना गीत।

सयलानी ह्वै
बन का गावै देओ
आपन गीत।
12
चाँदी की नाव
सोने के डाँड लगे
रेत में धँसी।

नैया चाँनी कै
कनक डाण्ड लाग
बालू माँ धँसै।
13
कुपिता धरा
अगन- महल में
आसन- पाटी।

रिसानी भुई
अगनि- महिल माँ
आसन- पाटी।
14
निकला तारा
साँवले तंदूर में
एक अंगारा।

निक्सिसि तारा
साँवरि तंदूर माँ
याकु अँगारा।
15
घाम से तपे
देह पर फफोले
ले, दिन फिरे।

घाम ते तपै
देहीं परि झलका
लै, दिनु फिरै।

16
आग की गुफा
भटक गई हवा
जली निकली।

आगि कै गुहा
भरमाइसि हवा
जरी निकसी।
17
लपटों घिरा
अगिया बैताल- सा
लू का थपेड़ा।

लपटि गर्छि
अगिया बैताल स
लूक धउँका।
18
याद के फूल
आँखें छिड़कें पानी
महक उठे।

सुधि कै फुल्वा
आँखीं छिरकैं बारी
गमकै लाग।
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