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हमारे लिए / निकअलाय रेरिख़ / अनिल जनविजय

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जीवन है कितना बेज़ोड़ और न्यारा
हर सुबह दिखता है लाजवाब नज़ारा
गुज़रता है हमारे पास से एक नायक
पार करे राह तैरकर वो अनजान गायक

हर सुबह धुन्ध से उभरे बहुत धीरे-धीरे
नाव वो छोटी सी पार करे नदिया को तीरे
उस नैया से उभरे हमेशा नए गीत का स्वर
बैठा उसमें गायक गाता दुनिया से  बेख़बर  

फिर नैया गुम हो जाती वहाँ चट्टानों के पीछे
पर गीत की धुन देर तक ध्यान हमारा खींचे
उस गायक के बारे में हम जानना चाहें सबकुछ
कौन है वो, कहाँ रहता है, जाए कहाँ वो हर रुत ?  

किसके लिए गाए वो हर दिन एक नया गान ?
जिसे सुनकर होता मन में नित आशा का भान   
उसके गीतों से हो गई है, गहरी जान-पहचान  
हमारे लिए ही गाता है वो शायद अपने गान ?  

1920

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
          Николай Рерих
                    Нам

В жизни так много чудесного.
Каждое утро мимо нашего берега
проплывает неизвестный певец.
Каждое утро медленно из тумана
движется легкая лодка, и
всегда звучит новая песнь.
И так же, как всегда, скрывается
певец за соседним утесом.
И нам кажется: мы никогда
не узнаем, кто он, этот
певец, и куда каждое утро
держит он путь. И кому
поет он всегда новую песнь.
Ах, какая надежда наполняет
сердце и кому он поет?
Может быть,
нам?

1920 г.