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चाबियों की रखवाली / निकअलाय रेरिख़ / वरयाम सिंह

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आज मैं बनूँगा जादूगर
अपनी असफलताओं को
बदल डालूँगा सफलताओं में ।

मौन धारण कर रखा था जिन लोगों ने
वे बातें करने लगे हैं ।
पीछे मुड़ने लगे हैं
जिन्हें आगे जाना था ।
डर गए डरावने लोग,
धमकियाँ देने वाले गिड़गिड़ाने लगे ।

फ़ाख़्ताओं की तरह विचार आए
और रुक गए संसार पर शासन करने के लिए ।
सबसे अधिक शान्त थे जो शब्द
तूफ़ानों को लेते आए अपने साथ
और तुम चलते रहे उसकी छाया की तरह
जिसे अभी अस्तित्त्व में आना था ।

तुम अब एक बच्चे का रूप धारण करोगे
ताकि बाधा न पहुँचाए तुम्हें किसी तरह की लज्जा ।
तुम बैठे रहे बाहर की देहरी पर
जिस तक पहुँच सकते थे हर तरह के ठग ।

तुम पूछते थे -- कौन ठगना चाहता है मुझे ?
इसमें हैरानी की क्या बात ?
सफल शिकारी ढूँढ़ लेगा
अपना शिकार
बिना डरे ।

पर सफलता प्राप्त कर
यहाँ से जाते हुए मैं जानता हूँ
तुमसे हर एक से मैं मिल नहीं पाया हूँ
अधूरी रह गई हैं अच्ची मुलाक़ातें ।

बहुत से भले लोग जा चुके हैं
या अभी तक यहाँ पहुँचे नहीं ।
मैं उन्हें जानता नहीं था ।

मैं नए-नए वस्त्र पहनकर
बैठा रहा तुम्हारे बीच
तुम भी धारण करते रहे परिधान तरह-तरह के
और चुपचाप रखवाली करते रहे
द्वारों की जंग लगी
चाबियों की ।



मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए

            Николай Рерих
            Ключи от ворот

Волшебником буду сегодня
и неудачу в удачу я превращу.
Заговорили молчавшие.
Обернулись назад уходившие.

Закивали все грозные.
Поникли все угрожавшие.
Мысли пришедшие как голубь
залегли для управления миром.

Самые тихие слова принесли
бурю. И ты шел, как тень
того, что должно наступить.
И ребенком ты станешь,
чтобы стыд не мешал тебе.

Ты сидел у проезжих ворот,
доступных для каждого плута.
Спрашивал, кто хочет тебя
обмануть? Что тут удивительного?

Удачливый охотник найдет
достойную охоту. Найдет вне страха.
Но, получив удачу свою,
уходя, знаю я, что не всех
Из вас я увидал. Лучшие
встречи остались без
завершения. И много добрых
мимо прошли или еще
не дошли. А я их не знал.

И переодетым я сидел между
вами. И вы закутались
в разные ткани. Молча
хранили заржавленные ключи
от ворот.