भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भगवान बुद्ध की कृपा हो गई है / सूरजपाल चौहान

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:15, 15 जून 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सूरजपाल चौहान |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हिन्दुओं की
ऊँच-नीच
और
छुआछूत से
तंग आकर
मैंने
बौद्ध धर्म अपनाया,
अपनी
बेटी और बेटे को
ख़ूब पढ़ाया-लिखाया
कर्ज़ा लेकर
उन्हें
डॉक्टर और इंजीनियर बनाया ।

अब
बेटे ने ब्राह्मणी से
और बेटी ने
ठाकुर से ब्याह
रचा लिया है ।

धीरे-धीरे
खो बैठा हूँ मैं
अपनी
पहचान और अस्तित्त्व
सचमुच मुझ पर
भगवान बुद्ध की कृपा
हो गई है ।