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रिश्ते-5 / निर्मल विक्रम

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रिश्ते
साँस होते हैं ज़िन्दगी में
फाहों की तरह गर्म
रेशम की तरह कोमल
हाथों की तपिश की तरह
कोसे-कोसे
अपनी
आँखों में से चुपचाप
बहता कोई गर्म आँसू दिल से हो कर
कई बार
उन के चिढ़ाने की तरह
चीरती लहूलुहान करती
चीख़ की तरह भी हो जाते हैं रिश्ते
जब रिश्तों की साँसों का धागा
टूट जाता है
बेमौक़े


मूल डोगरी से अनुवाद : पद्मा सचदेव