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मधुमास सुहाया / प्रेमलता त्रिपाठी
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झूम उठा मन यौवन छाया ।
देख सखा मधुमास सुहाया ।
कली गली शोभित अँगनाई,
मीत रसाल अजब बौराया ।
कंचन सर्षप पीत वधूटी,
खनके नूपुर मन भरमाया ।
लोचन खंजन मनस विहंगा,
छलके मधुरस फागुन आया ।
रंग भरे नभ भूतल शोभा,
बन रसिया मनमीत लुभाया ।
पहरू सीमा साध रहें हैं,
बन रक्षक संकल्प उठाया ।
देश प्रेम का चोला पहने,
रंग वसंती है मन भाया ।