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वसंत फागुनी गाया / प्रेमलता त्रिपाठी
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रसवंती रसधार,सरस तनमन हर्षाया ।
झंकृत वीणा तार,वसंत फागुनी गाया ।।
बहे बसंत बयार,पथ वीथिका हर्षित मन ।
बिखरे रंग फुहार,गुनगुना उठती काया ।।
सखि आयो ऋतु कंत,लगे प्रीतम मनभावन ।
छोड़ न जाना हंत,संग तेरे मन भाया ।।
सनई करे पुकार,सरपत कुशा ललचाई ।
सन सन उड़े कपास,हरित पीत रंग छाया ।।
सरसों करत विलास,अलसी नैन मटकाई ।
मटर चना के हास,खेतन मंह लहराया ।।
नव किसलय की प्यास,भ्रमर मनको भटकाये ।
कुहुकति भरत मिठास,कोकिला गान सुहाया ।।
प्रेम कामना आज, मधुर संदेश सुनाई ।
पग-पग बिछी बिसात,गुलाल होलिका माया ।।