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यकीन / मनमोहन
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एक दिन किया जाएगा हिसाब
जो कभी रखा नहीं गया
हिसाब
एक दिन सामने आएगा
जो बीच में ही चले गए
और अपनी कह नहीं सके
आएंगे और
अपनी पूरी कहेंगे
जो लुप्त हो गया अधूरा नक्शा
फिर खोजा जाएगा