भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नारी नैनन नीर / प्रेमलता त्रिपाठी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:25, 25 जून 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमलता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नदिया नारी नैनन नीर ।
पुण्य धरा तट धारा तीर ।

नव नव नूतन नारी रूप,
प्रीति प्राण सी बहे समीर ।

शीतल करती छूकर मर्म
दुर्गा बनकर हरती पीर ।

भूल करें मानव अज्ञान,
क्षमा दया का देती क्षीर ।

अंध मिटा भरती संज्ञान
ऊषा सम करती हृद हीर,

दिशा बोध दे पंथ पुनीत,
प्रेम तापसी पथिका वीर ।