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नारा वंदेमातरम् / प्रेमलता त्रिपाठी
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भूलो मत सदियों से अपना,नारा वंदेमातरम्
उपजे सोना धरा हमारी,प्यारा वंदे मातरम्
सजी निशा नवयुवती जैसे,मुखर रागिनी गा रही ।
खोल पलक को सरस निहारे,तारा वंदेमातरम् ।
किरणों के रथ बैठ दिवाकर,प्राची से संदेश दे,
हुआ सबेरा कर्मक चढ़ता,पारा वंदेमातरम् ।
धानी चूनर पहने लाजो,चंचल बाला सी धरा,
पीत वसन से लहरे परचम,न्यारा वंदेमातरम् ।
प्रेम नहीं फिर कहाँ मिलेगा,मत खोना अधिकार को,
अ़द्भुत धन सुख अपनेपन का ,सारा वंदेमातरम् ।