उसकी पीठ
जब जाने के लिए मुड़ती है
तो उसी क्षण एक सूनी, अकेली और निष्ठुर जगह बनाती है
जो अनिवार्य है
जाते हुए उसकी पीठ को देखना
ठीक ठीक सबसे ज़्यादा अपने साथ होना है
उसकी पीठ
जब जाने के लिए मुड़ती है
तो उसी क्षण एक सूनी, अकेली और निष्ठुर जगह बनाती है
जो अनिवार्य है
जाते हुए उसकी पीठ को देखना
ठीक ठीक सबसे ज़्यादा अपने साथ होना है