Last modified on 26 जून 2022, at 11:32

सुख, जैसे सपना / रश्मि विभा त्रिपाठी

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:32, 26 जून 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= रश्मि विभा त्रिपाठी |संग्रह= }} Categ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सबके लिए
हम जितना मरे
वे सब मिले
बस बिष से भरे
यही जीवन
यही भाग्य अपना
अपने लिए
सुख, जैसे सपना
भटकें हम
रोज बीहड़ बन
कोई नहीं अपना।
-0-