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प्रकृति / अनुज लुगुन
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इच्छाएँ कभी नहीं मरतीं
वे तैरती रहती हैं हवाओं में
सांस लेते नवजात बच्चे के अन्दर
वे ऐसे ही घुस जाती हैं
और बच्चा रोने लगता है
बच्चे का दुख जनम लेते ही
शुरू हो जाता है
और उम्र के एक पड़ाव के बाद
जब वह मरता है
तो इच्छाएँ जीवित रहती हैं
हम कह सकते हैं —
हमारा इतिहास ऐसे ही बनता है
एक शासक मर जाता है
और शासन करने की इच्छा
बची रह जाती है ।
एक आदमी मर जाता है
और उसके लड़ने की ताक़त
बची रह जाती है ।