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वर्षा गीत / राजा खुगशाल

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बादल गरजे, बरसा पानी,
डब्बू जी ने छतरी तानी ।

बिजली चमकी चम-चम-चम,
बरसे बादल झम-झम-झम ।

कपड़े भीगे, भीगे बस्ते,
नज़र नहीं आते रस्ते ।

बाहर पानी, भीतर पानी,
भीग रहे हैं रिंकू - रानी ।

नदिया ने तट तोड़ दिए हैं,
लोगों ने घर छोड़ दिए हैं ।

हरे-भरे थे खेत हमारे,
काटे नदिया ने वे सारे ।

घास - पात, मिट्टी - पत्थर,
फ़सलें डूबी, डूबे हैं घर ।

मूली - गाजर, पालक- मेथी,
आलू - गोभी, चौपट खेती ।

टूटी सड़कें, डूबे उपवन,
जैसे ठहर गया हो जीवन ।

उफन रही नाराज़ नदी,
गुस्से में है आज नदी ।

बड़ी तबाही लाई बाढ़,
अबके ऐसी आई बाढ़ ।