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पांचूं धात / चंद्रप्रकाश देवल
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अगन माथै जळ
इळा माथै आभौ
कर्यां जजावै है घा
जिणरी खट-खट सूं
बोळा व्हैग्या है म्हारा कांन
म्हनै दीसै है हाल मगसौ-मगसौ
सूंसाड़ पाड़तौ बायरौ
खंख में वाभराभूत
अलोप करतौ सगळा अेहलांण
धकै आवतौ
कोई मारग नीं दीसै
खास पगमंडणा सूं भर्यौ-भर्यौ
तौ ई न्हाळणी है वाट
जूंण री खट-पट है जित्तै
कदास मौत रै पगल्यां
कोई आवै
अर पांचूं तत्व आपरी भासा भूल जावै
जिकी भरी है छिलौछिल ईड सूं