भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

द्वारका / चंद्रप्रकाश देवल

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:31, 17 जुलाई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रप्रकाश देवल |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लोग अेक द्वारका हेर परी
साव फीटी मुळक समचै
बिसार लेवै
आपरौ बिद्रांवन

आप अर आपरै कदंब बिचाळै
लांबी बिरांणी भांय धर लेवै
पछै निरांत सूं घटै जिकी पूरी कर लेवै

अैड़ौ कांई दीसै वांनै वठै
द्वारका तौ अजखुद संभयोड़ी
लेवण नै जळ समाध
चूकता ठाटबाट अर सगळी सत्तावां साथै
पछै, अैड़ौ है कांई द्वारका में?

वै जांणै है कोनीं
चेंठण वाळौ इज है पगतळी
बेगौ-मोड़ौ तीर बण कदंब
वै जांणै जित्ती जेज कोनी!