भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उडीक बिरथा / चंद्रप्रकाश देवल
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:57, 17 जुलाई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चंद्रप्रकाश देवल |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
नित-हमेस
सुख-सोराई री पीठी
राखै साफ कूणी
थारी पसम पळकती
गलीचै वाळा पगमंडणा री मारगू
थारी तौ अेड्यां ई नीं फाटै
म्हैं मेल-हेड़णियौं केलू
पछै कद याद आवूं
चिंतारण री उडीक बिरथा।