भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नटखट गान / फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का / सुरेश सलिल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:36, 18 जुलाई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैया, जो मैं चान्दी होत्यू
पूता, तौ तुम बहुत जुडात्यो

मैया, जो मैं पानी होत्यू
पूता, तौ तुम बहुत जुडात्यो

मैया, तू मोहे तकिया पे साजि ले !
साजि ले ! साजि ले ! कशीदा मा काढ़ि ले

अरे हाँ रे पूता
भली कही पूता !


अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुरेश सलिल