भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
यह यहीं है / हैरॉल्ड पिंटर / अरुण कमल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:44, 13 अगस्त 2022 का अवतरण
वो आवाज़ कैसी थी ?
मैं मुड़ता हूँ, उस कमरे की ओर जो हिल रहा है ।
वो आवाज़ कैसी थी जो अन्धेरे से आई ?
कैसा है यह प्रकाश का भूलभुलैया जिसमें वह छोड़ती है हमें ?
यह कैसी मुद्रा है
हटने और फिर लौटने की ?
यह क्या सुना हमने ?
यह वही साँस थी, जो हमने ली थी, जब हम पहली बार मिले थे ।
सुन । यह यहीं है ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अरुण कमल