भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सभ्यता के गुणसूत्र / शिरोमणि महतो

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:56, 29 अगस्त 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिरोमणि महतो |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

धरती के शरीर में
शिराओं की तरह ...
बहती नदियों में
बहता हुआ जल
शिराओं का लोहू है ।
नदियाँ सभ्यताओं की जननी हैं
उनके बहते हुए जल में
सभ्यताओं के गुणसूत्रों का संचरण होता हैं !

धरती पर एक भी नदी
कभी सूखे नहीं
और न ही कोई नदी दूषित हो
नदियों के पानी का दूषित होना
सभ्यताओं के गुणसूत्रों का संक्रमण है !

नदियों के दूषित हो रहे पानी से
सभ्यताओं के गुणसूत्र संक्रमित हो रहे हैं !