भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लपट / आदम ज़गायेवस्की
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:56, 24 अक्टूबर 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आदम ज़गायेवस्की }} {{KKCatKavita}} <poem> हे ईश...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हे ईश्वर, हमें लम्बी सर्दियाँ दो
और शान्त संगीत, और धैर्यवान मुख
और थोड़ा-सा गौरव दो
इससे पहले कि हमारा युग ख़त्म हो जाए ।
हमें एक गहरा अचम्भा दो
और एक लपट दो,
ऊँची, चमकदार-भड़कीली
अँग्रेज़ी से अनुवाद : गीत चतुर्वेदी