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क़ता / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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अज्ज रात इक रात दी रात जी के
असाँ जुग हज़ाराँ जी लिता ए
अज्ज रात अंमृत दे जाम वांगूँ
इन्हाँ हत्थाँ ने यार नूँ पी लिता ए