भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक समय वो आएगा / शशि पाधा
Kavita Kosh से
वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:05, 3 दिसम्बर 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि पाधा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक समय वो आएगा
जब देख पुरानी तस्वीरें
कोई पेड़ बूझ न पाएगा
पर्वत सजी चट्टानें होंगी
जंगल का कुछ पता नहीं
टूटेंगे सब नीड़ घोंसले
बाग़ -बगीचे, लता नहीं
पुस्तक के इक पन्ने में
कोई पशु खड़ा मुस्काएगा
एक समय वो आएगा।
हो जाएँगे तरुवर बौने
गमले में ही रैन बसेरा
न होगी तब ठंडी छैयाँ
ईंट मीनारें डालें घेरा
पूछेगी धरती बादल से
मीत, बता कब आएगा
एक समय वो आएगा।
ढूँढ खोजके रंग -रूप तब
बच्चे चित्र बनाएँगे
पीपल ,बरगद, देवदार सब
कथा पात्र हो जाएँगे
किसकी क्या परिभाषा होगी
कौन किसे बतलाएगा
एक समय वो आएगा।
-0-