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वही पल / अमरजीत कौंके

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जीवन की आपाधापी में
वही पल सार्थक निकले
जो तुमने मेरे लिए निकाले
जो बचाए मैंने तुम्हारे लिए

वही शब्द निकले सार्थक
उदास क्षणों में
जो तुमने मेरे लिए सोचे
जो लिखे मैंने तुम्हारे लिए

वही नाम निकले सार्थक
मुहब्बत के पलों में
जो तुमने मुझको दिए
जो कहता रहा मैं तुझसे

वही स्वप्न निकले सार्थक
जो तुमने मेरे लिए देखे
जो मैंने आँखों में संजोये
तुम्हारे लिए

जीवन की आपाधापी में
वही कविताएँ निकली सार्थक
जो मैंने तुम्हारे लिए लिखी
जो रचीं तुमने मेरे लिए।