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मरने से पहले कुछ नशा आए / नवीन जोशी
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मरने से पहले कुछ नशा आए,
ज़ह्र पीने का भी मज़ा आए।
ज़र्फ़ देखेंगे तब चराग़ों का,
आज़माने को जब हवा आए।
नहीं उस्ताद ज़िंदगी से बड़ा,
ये सिखाए तो फ़लसफ़ा आए।
उनकी फ़ितरत है सो सुना ही नहीं,
अपनी आदत है सो सुना आए।
दुश्मनों तक ये बात पहुँचेगी,
दोस्तों को जो हम बता आए।
सिर्फ़ पिंजरा बदल गया उनका,
जिन परिंदों को हम उड़ा आए।
हमीं ज़िंदान थे, हमीं क़ैदी,
हमीं मुंसिफ़ हुए, छुड़ा आए।
वुसअ' त-ए-आसमाँ की कुछ सोचो,
क़ुव्वत-ए-पर 'नवा' बढ़ा आए।