Last modified on 20 दिसम्बर 2022, at 05:30

लौटते कभी नहीं / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:30, 20 दिसम्बर 2022 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लौटते कभी नहीं
आँसू में गाए दिन
ओस में नहाए दिन ।

सुधियों कि गोद में
रात-रात जागकर
भारी पलकों में सजे
उलझी अलकों में सजे
 बीते जो तुम्हारे बिन
लौटते नहीं कभी ।

पहुँच किसी मोड़ पर
रिश्ते सभी छोड़कर
फिर दूर तक निहारते
उस प्यार को पुकारते
फिसले हाथ से जो छिन
लौटते कभी नहीं ।
-0-