Last modified on 31 दिसम्बर 2022, at 23:15

ख़ामोश रात की तन्हाई में / फ़िरदौस ख़ान

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:15, 31 दिसम्बर 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फ़िरदौस ख़ान |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब कभी
ख़ामोश रात की तन्हाई में
सर्द हवा का इक झोंका
मुहब्बत के किसी अनजान मौसम का
कोई गीत गाता है तो
मैं अपने माज़ी के
वर्क पलटती हूँ
तह-दर-तह
यादों के जज़ीरे पर
जून की किसी गरम दोपहर की तरह
मुझे अब भी
तुम्हारे लम्स की गर्मी वहाँ महसूस होती है
और लगता है
तुम मेरे क़रीब हो।