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नई भोर / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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नई भोर की
नई किरन का
स्वागत कर लो ।
आँखों में तुम
आशाओं का
          सागर भर लो
भूलो बिसरी बातें
दर्द-भरी
अँधियारी रातें ।
शुभकामना
की देहरी पर
सूरज धर लो ।
वैर-भाव मिट जाए
मन से , तन से
इस जीवन से ।
जगे प्रेम नित,
दुख सारी
दुनिया का हर लो।
[22-10-1989;अणुव्रत जन-प्रथम-91,अनुभूति 1जन-2005]